दमण एवं दीव प्रदेश 1546 से 1961 तक पुर्तगाली शासन के अधीन थे ।
दीव में काठियावाड़ी संस्कृति का व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है । यहां की भाषा, पोशाक, शैली, खानपान, रीति-रिवाज एवं प्रथा तथा अन्य सांस्कृतिक तत्व काठियावाड़ी संस्कृति से मिलती-जुलती है । दमण एवं दीव के नृजातीय मोजैक में हिन्दु, जैसे कि खारवा, कोली पटेल, कोली, ब्राह्मण, बनिया, वांजा, सालत, संघाड़िया, सागर, बारिया, कामली, मिटना, मंगेरा, भंडारी, माछी, कुम्भार, माह्यावंशी; आदिवासी, जैसे – धोबिया, दुबला एवं सिद्दी; मुसलमान, जैसे – मोमिन एवं खोजा तथा कैथलिक ईसाई शामिल हैं । अधिकांश हिन्दू जाति अपने आपको राजपूत मानती है और तदनुसार अटक (कुलनाम) और गोत्र (क्लान) अपनानी है, जबकि खारवा, कोली, कोली पटेल, वांजा, मंगेरा, भंडारी, सागर एवं सालत अपने आपको संघ प्रदेश का मूल निवासी मानते हैं और दूसरों को गुजरात एवं सौराष्ट्र के अन्य जगहों से विस्थापित होकर आया हुआ मानते हैं ।